tag:blogger.com,1999:blog-2428059546286720377.post5084993781432493910..comments2023-10-28T04:45:16.800+05:30Comments on रचनाधर्मिता: गीत - मैं बीता कल हुआ तुम्हाराअमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’http://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2428059546286720377.post-68871110395475404852012-05-03T19:01:05.351+05:302012-05-03T19:01:05.351+05:30कई बार पढ़ इन अद्भुत पंक्तियों का आनन्द लिया।कई बार पढ़ इन अद्भुत पंक्तियों का आनन्द लिया।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2428059546286720377.post-91904383083991856852012-05-03T06:04:08.266+05:302012-05-03T06:04:08.266+05:30"आत्मवंचना के इस पथ पर
हो न जगत मेरा अनुगामी
..."आत्मवंचना के इस पथ पर<br />हो न जगत मेरा अनुगामी<br />यद्यपि मेरी सीख व्यर्थ है<br />मैं ही रहा न अपना स्वामी<br />जीवन था अनमोल किन्तु<br />गिर गया भूमि पर जैसे पारा"<br /><br />पंक्तियाँ स्पर्श करती हैं....हर बार पढ़कर मुग्ध होता हूँ आपको। <br />आभार।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.com