tag:blogger.com,1999:blog-2428059546286720377.post7446871751186742305..comments2023-10-28T04:45:16.800+05:30Comments on रचनाधर्मिता: मुक्तक - प्रकीर्णअमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’http://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2428059546286720377.post-47083672561850167352009-05-15T10:50:00.000+05:302009-05-15T10:50:00.000+05:30प्रिय अमित,
यह बंद कुछ कुछ मेरी बात करता है बहुत ...प्रिय अमित,<br /><br />यह बंद कुछ कुछ मेरी बात करता है बहुत अच्छा लगा :-<br /><br />हालिया साँचों बिल्कुल फिट नहीं हूँ।<br />दोस्तों की महफिलों में हिट नहीं हूँ।<br />रंग मुझको भी बदलना चाहिये कुछ,<br />आदमी हूँ क्या करूँ गिरगिट नहीं हूँ।<br /><br />अच्छा लिखा है।<br />सादर,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.com