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रचनाधर्मिता

सृजन के पड़ाव

Thursday, December 29, 2011

नव-वर्ष मंगलमय हो!


Posted by अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’ at 7:13 PM 1 comment:
Labels: नव-वर्ष मंगलमय हो
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गुरु आशीर्वाद- परमहंस स्वामी अड़गड़ानन्द जी महाराज

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  • कविता - इस बार आओगे तो पाओगे (1)
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  • कविता - वास्तविकता (1)
  • कविता - सत्य की शोक-सभा (1)
  • कविता - हे (1)
  • कविता कोश की तीसरी वर्षगाँठ पर हमारी बधाई (दिनांक ०५जुलाई) (1)
  • ग़ज़ल - माननीय अत्यन्त हो गए (1)
  • ग़ज़ल -जो मेरे दिल में रहा ... .. (1)
  • ग़ज़ल - अज़नबी अबके आश्ना सा था (1)
  • ग़ज़ल - अपनी - अपनी सलीब ढोता है (1)
  • ग़ज़ल - अब ’अमित’ अन्जुमन से जाते हैं (1)
  • ग़ज़ल - आशिक यहाँ जुल्फ-ओ-लब-ओ-रुख़्सार बहुत हैं। (1)
  • गज़ल - इक लम्हा खु़शी के लिये दुनिया सफ़र में है (पुरानी) (1)
  • ग़ज़ल - उम्र भर का ये कारोबार रहा। (1)
  • ग़ज़ल - एक मासूम से ख़त पर बवाल कितना था (1)
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  • ग़ज़ल - जिन्दगी इक तलाश है क्या है? (1)
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  • गज़ल - झूठ का पर्दा खोला जाए| (1)
  • ग़ज़ल - तलाशे-इश्क़ में सारी उमर तमाम हुई (1)
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  • ग़ज़ल - दिल मुसाफ़िर ही रहा सूये-सफ़र आज भी है (1)
  • ग़ज़ल - फिक्र आदत में ढल गई होगी। (1)
  • ग़ज़ल - बजाहिर खूब सोना चाहता हूँ। (1)
  • ग़ज़ल - बतर्ज-ए-मीर (1)
  • ग़ज़ल - बहुत गुमनामों में शामिल एक नाम अपना भी है (1)
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  • ग़ज़ल - मत मंसूबे बाँध बटोही ... (1)
  • ग़ज़ल - मुझको इंकार आ गया शायद (1)
  • ग़ज़ल - मेरे वुजूद में जो शख़्स समाया सा लगे (1)
  • ग़ज़ल - मैं खड़ा बीच मझधार किनारे क्या कर लेंगे (1)
  • ग़ज़ल - याद का इक दिया सा जलता है। (1)
  • ग़ज़ल - यूँ चम्पई रंगत प सिंदूरी निखार है (1)
  • ग़जल - ये रवायत आम है . (1)
  • ग़ज़ल - रोज़ जिम्मेदारियाँ बढ़ती गईं। (1)
  • ग़ज़ल - लिहाफ़ों की सिलाई खोलता है (1)
  • ग़ज़ल - वो मेरे हक़ के लिये मेरा बुरा करते हैं। (1)
  • ग़ज़ल - सहल इस तरह ज़िन्दगी कर दे (1)
  • ग़ज़ल - सुन रहा हूँ इसलिये उल्लू बनाना चाहते हैं (1)
  • ग़ज़ल - हम अपने हक़ से जियादा नज़र नहीं रखते (1)
  • ग़ज़ल - हालात से इस तरह परेशान हुये लोग (1)
  • ग़ज़ल तरही - साफ इन्कार में ख़ातिर शिकनी होती है (1)
  • ग़ज़ल- ख़्वाब ही था ज़िन्दगी कितनी सहल हो जायेगी (1)
  • ग़ज़लनुमा - कुछ भूलें ऐसी हैं जिनकी याद सुहानी लगती है। (1)
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  • गीत - अपने-अपने अंधकार में जीते हैं। (1)
  • गीत - आओ साथी जी लेते हैं (1)
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  • गीत - कविता का वह काल पुरुष ... (1)
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  • कविता कोश की तीसरी वर्षगाँठ पर हमारी बधाई (दिनांक ०५जुलाई)
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  • हास्य ग़ज़ल - शहर मुझको तेरे सारे मुहल्ले याद आते हैं।
  • नज़्म - एक बेनाम महबूब के नाम
  • नवगीत - माँ तुम अपने साथ ले गयी मेरा बचपन भी।
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