याद का इक दिया सा जलता है।
लौ पकड़ने को दिल मचलता है।
ख़्वाब हो या कि हक़ीक़त दुनियाँ,
दम तो हर हाल में निकलता है।
वक़्त बेपीर है ये मान लिया,
आदमी ही कहाँ पिघलता है।
सरनिगूँ देख कर तुझे ऐ दोस्त,
मुझको अपना वजूद खलता है।
मौत के मुस्तकिल तकाजों में,
एक दिन और यूँ ही टलता है।
अर्श पर शम्स कमल कीचड़ में,
नासमझ देख करके खिलता है।
हमनें इस तरह निभाये रिस्ते,
जैसे कपडे़ कोई बदलता है।
कारवाँ जानें अब कहाँ पहुँचे,
हर कोई अपनी चाल चलता है।
उनके मतलब का रास्ता अक्सर,
मेरी मजबूरियों से मिलता है।
अपनी जिद छोड़ दू ’अमित’ लेकिन,
उनका तेवर कहाँ बदलता है।
- अमित
सरनिगूँ = सर झुका हुआ, लज्जित। मुस्तकिल = सतत। अर्श= आकाश। शम्स = सूर्य।
सामुदायिक बिस्तर (कम्युनिटी बेड)
13 years ago
2 comments:
youtube video downloader ss
SPAM in Hindi
Encryption in Hindi
full form gps
haikar software
Internet in Hindi
hindi computer
Roaming Meaning in Hindi
Server Meaning in Hindi
what is computer in Hindi
Hindi torrent
Google Hindi Search
Control Panel in Hindi
Online Paise Kaise Kamaye
Hindi torrent
Post a Comment