कैसी घिरीं घटायें नभ पर
कैसी घिरी घटायें
कैसी घिरी घटायें
धूप कर रही धींगा-मस्ती
छायाओं से गरमी रिसती
आँचल का अपहरण कर रही
हैं मनचली हवाएं।
कैसी घिरी घटायें।
हंस तज गए मानसरोवर
मत्स्यों का है जीना दूभर
घडियालों के झुण्ड किनारों
पर डूबें उतरायें।
कैसी घिरी घटायें।
पर्वत-पर्वत कोलाहल है
सागर-सागर बड़वानल है
धरती का सुख होम कर रहीं
बारूदी समिधाएँ।
कैसी घिरी घटायें।
कुयें, नदी, नलकूप पियासे
बरखा भूल गयी चौमासे
मन का पतझर रहे अछूता
ऋतुएँ आयें जायें।
कैसी घिरी घटायें।
सूख गया आँखों का पानी
रिश्तों पर छाई वीरानी
तनिक लाभ के लिए टूट जातीं
नैतिक सीमाएँ।
कैसी घिरी घटायें।
-अमित
छायाओं से गरमी रिसती
आँचल का अपहरण कर रही
हैं मनचली हवाएं।
कैसी घिरी घटायें।
हंस तज गए मानसरोवर
मत्स्यों का है जीना दूभर
घडियालों के झुण्ड किनारों
पर डूबें उतरायें।
कैसी घिरी घटायें।
पर्वत-पर्वत कोलाहल है
सागर-सागर बड़वानल है
धरती का सुख होम कर रहीं
बारूदी समिधाएँ।
कैसी घिरी घटायें।
कुयें, नदी, नलकूप पियासे
बरखा भूल गयी चौमासे
मन का पतझर रहे अछूता
ऋतुएँ आयें जायें।
कैसी घिरी घटायें।
सूख गया आँखों का पानी
रिश्तों पर छाई वीरानी
तनिक लाभ के लिए टूट जातीं
नैतिक सीमाएँ।
कैसी घिरी घटायें।
-अमित
1 comment:
प्रकृति को दिग्भ्रमित करते मानव के कार्यकलाप।
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