बहुत गुमनामों में शामिल एक नाम अपना भी है
इल्मे-नाकामी में हासिल इक मक़ाम अपना भी है
गौर करने के लिये भी कुछ न कुछ मिल जायेगा
हाले-दिल पर हक़ के बातिल इक कलाम अपना भी है
मेहरबाँ भी हैं बहुत और कद्रदाँ भी हैं बहुत
हो कभी ज़र्रानवाज़ी इन्तेजाम अपना भी है
कब हुज़ूरे-वक़्त को फ़ुरसत मिलेगी देखिये
मुश्त-ए-दरबान तक पहुँचा सलाम अपना भी है
चलिये मैं भी साथ चलता हूँ सफ़र कट जायेगा
आप की तक़रीर के पहले पयाम अपना भी है
इक परिन्दे की तरह बस आबो-दाने की तलाश
जिन्दगी का यह तरीका सुबहो-शाम अपना भी है
घर की चौखट तक मेरा ही हुक़्म चलता है ’अमित’
मिल्कीयत छोटी सही लेकिन निज़ाम अपना भी है
अमित
इल्मे-नाकामी = असफलता की विद्या, मक़ाम = स्थान, हक़ के बातिल = सच या झूठ, कलाम = वाणी या वचन, मेहरबाँ = दयालु, क़द्रदाँ = गुणग्राहक, ज़र्रानवाज़ी = दीनदयालुता, मुश्त-ए-दरबान = दरबान की मुट्ठी, तक़रीर = भाषण या उपदेश, पयाम = संदेश, आबो-दाना = अन्न-जल, मिल्कीयत = जायेदाद, निज़ाम = शासनव्यवस्था या प्रबन्धतन्त्र ।
सामुदायिक बिस्तर (कम्युनिटी बेड)
13 years ago
4 comments:
इक परिन्दे की तरह बस आबो-दाने की तलाश
जिन्दगी का यह तरीका सुबहो-शाम अपना भी है
-बहुत बढ़िया.
घर की चौखट तक मेरा ही हुक़्म चलता है ’अमित’
मिल्कीयत छोटी सही लेकिन निज़ाम अपना भी है
bahut khuub
BADHIYA
VENUS KESARI
गौर करने के लिये भी कुछ न कुछ मिल जायेगा
हाले-दिल पर हक़ के बातिल इक कलाम अपना भी है
सुंदर ।
Post a Comment