Wednesday, May 26, 2010

ग़ज़ल - सहल इस तरह ज़िन्दगी कर दे

सहल इस तरह ज़िन्दगी कर दे
मुझपे एहसाने-बेख़ुदी कर दे

आरज़ू ये नहीं कि यूँ होता
आरज़ू है कि बस यही कर दे

हिज़्र की आग से तो बेहतर है
ये मुलाक़ात आख़िरी कर दे

ऐ नुजूमी जरा सितारों पर
हो सके थोड़ी रोशनी कर दे

दास्ताने-सफ़र 'अमित' शायद
उनकी आँखे भी शबनमी कर दे

'अमित'
नुजूमी = ज्योतिषी