skip to main |
skip to sidebar
व्याप्त है विपुल हर्ष
कविता कोश ने पूर्ण किये तीन वर्ष
कविता का यह महासागर
बनने को उद्यत है
हिन्दी काव्य का विश्वकोश।
वह दिन दिखता है मुझे
हस्तामलक समान
जब कविता कोश में होगा
काव्य की हर जिज्ञासा का समाधान।
बधाई! उन सभी को
जिनके प्रयत्नो का सुफल
हुआ मूर्तिमान।
उनको है नमन, उनकी वन्दना
उनका सारस्वत सम्मान
बहुत कुछ किया आपने पर
बहुत कुछ अब भी है शेष
जिसके लिये हम सभी की
शुभकामानायें हैं अशेष
इस महायज्ञ में हम भी सहभागी हैं
समिधा और हविस्य लेकर
जितनी जिसकी है सामर्थ्य सर्वस्व लेकर
हमारी मंगल कामनायें!
एक दिन हम कविता कोश को
हिन्दी-काव्य का विश्वकोश बनायें
सादर
अमित
Mob:
2 comments:
kavita kosh ko hardik badhaai aur aapki kalam ko bhi......
NAYE KAVIYO KI JIGYASA SHANT KARNE KE EK SHASHAKT MADHYAM KO BAHUT BAHUT BADHAI
Post a Comment