सहल इस तरह ज़िन्दगी कर दे
मुझपे एहसाने-बेख़ुदी कर दे
आरज़ू ये नहीं कि यूँ होता
आरज़ू है कि बस यही कर दे
हिज़्र की आग से तो बेहतर है
ये मुलाक़ात आख़िरी कर दे
ऐ नुजूमी जरा सितारों पर
हो सके थोड़ी रोशनी कर दे
दास्ताने-सफ़र 'अमित' शायद
उनकी आँखे भी शबनमी कर दे
'अमित'
नुजूमी = ज्योतिषी
सामुदायिक बिस्तर (कम्युनिटी बेड)
13 years ago
9 comments:
bahut suner gazal hai
bhai behad badhiya ghazal hui hai ...
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आरज़ू ये नहीं कि यूँ होता
आरज़ू है कि बस यही कर दे
ye sher to bas mera fav hua
आरज़ू ये नहीं कि यूँ होता
आरज़ू है कि बस यही कर दे
ऐ नुजूमी जरा सितारों पर
हो सके थोड़ी रोशनी कर दे
अमित जी ये दो शेर तो ....
बस.............. लाजवाब
हिज़्र की आग से तो बेहतर है
ये मुलाक़ात आख़िरी कर दे
ye panktiyn samajhne me thodi pareshani ho rahi hai cahchaji..
@anurag
अभी तुम्हारी समझ मे नहीं आयेगा। वैसे हिज़्र का मतलब होता है वियोग। अब शायद समझ सको।
badhiya ghazal amit ji...ARZUU YE NAHI KI YUN HOTA...bahut khuub
आरज़ू ये नहीं कि यूँ होता
आरज़ू है कि बस यही कर दे
waah kya baat kahi hai
haan ab sahi hai ,samajh me aa gaya.
आरज़ू ये नहीं कि यूँ होता
आरज़ू है कि बस यही कर दे
...कबूल हो दुआ ये, दुआ है।
हिज़्र की आग से तो बेहतर है
ये मुलाक़ात आख़िरी कर दे
दर्द...!
बधाई, अच्छी गज़ल।
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