Sunday, December 13, 2009

मुक्तक

रुत बदलने से कुछ नहीं होगा
रात ढलने से कुछ नहीं होगा
आइने में खरोंच है साथी
आँख मलने से कुछ नहीं होगा
अमित

1 comment:

RAJNISH PARIHAR said...

kya baat kahi hai SIR JI....