बजाहिर खूब सोना चाहता हूँ
हक़ीक़त है कि रोना चाहता हूँ
अश्क़ आँखों को नम करते नहीं अब
जख़्म यादों से धोना चाहता हूँ
वक़्त बिखरा गया जिन मोतियों को
उन्हे फिर से पिरोना चाहता हूँ
कभी अपने ही दिल की रहगुजर में
कोई खाली सा कोना चाहता हूँ
नई शुरूआत करने के लिये फिर
कुछ नये बीज बोना चाहता हूँ।
गये जो आत्मविस्मृति की डगर पर
उन्ही में एक होना चाहता हूँ।
भेद प्रायः सभी के खुल चुके हैं
मैं जिन रिश्तों को ढोना चाहता हूँ
नये हों रास्ते मंजिल नई हो
मैं इक सपना सलोना चाहता हूँ।
’अमित’ अभिव्यक्ति की प्यासी जड़ो को
निज अनुभव से भिगोना चाहता हूँ।
हक़ीक़त है कि रोना चाहता हूँ
अश्क़ आँखों को नम करते नहीं अब
जख़्म यादों से धोना चाहता हूँ
वक़्त बिखरा गया जिन मोतियों को
उन्हे फिर से पिरोना चाहता हूँ
कभी अपने ही दिल की रहगुजर में
कोई खाली सा कोना चाहता हूँ
नई शुरूआत करने के लिये फिर
कुछ नये बीज बोना चाहता हूँ।
गये जो आत्मविस्मृति की डगर पर
उन्ही में एक होना चाहता हूँ।
भेद प्रायः सभी के खुल चुके हैं
मैं जिन रिश्तों को ढोना चाहता हूँ
नये हों रास्ते मंजिल नई हो
मैं इक सपना सलोना चाहता हूँ।
’अमित’ अभिव्यक्ति की प्यासी जड़ो को
निज अनुभव से भिगोना चाहता हूँ।
9 comments:
@बजाहिर खूब सोना चाहता हूँ
हक़ीक़त है कि रोना चाहता हूँ
भेद प्रायः सभी के खुल चुके हैं
मैं जिन रिश्तों को ढोना चाहता हूँ
वाह !
अभिव्यक्ति तो निज अनुभव ही होती है। दुबारा निज अनुभव से क्यों भिगोना ?
उर्दू और हिंदी का अच्छा समन्वय है....
@गिरिजेश राव
आपका कहना सही है लकिन क्या कही-सुनी बातों को भी हम अभिव्यक्त नहीं करते। फिर भी आपकी बात पर ध्यान दूँगा।
कभी अपने ही दिल की रहगुजर में
कोई खाली सा कोना चाहता हूँ
बहुत खूब !! बेहतरीन लिखा है.
कोई खाली सा कोना चाहता हूँ
बहुत खूब ......!
बजाहिर खूब सोना चाहता हूँ
हक़ीक़त है कि रोना चाहता हूँ
अभी तो पहले शेर में ही गोता मार रहा हूं और इसके मायने तलाश रहा हूं। जबर्दस्त बात कही है अमित भाई। गहरी और खरी। अनुभव पर उतरी हुई।
बधाई। खूब कह लेते हैं अपनी बात। काश, मैं ऐसा कुछ कह पाता।
बजाहिर खूब सोना चाहता हूँ
हक़ीक़त है कि रोना चाहता हूँ
बहुत खूबसूरत मतला है.....
कभी अपने ही दिल की रहगुजर में
कोई खाली सा कोना चाहता हूँ
ग़ज़ल का बेहतरीन शेर लगा....
बेहतरीन गज़लें कहते हैं आप ! खूबसूरत ।
आभार ।
कभी अपने ही दिल की रहगुजर में
कोई खाली सा कोना चाहता हूँ
kya kahun aur..achha likhte hain aap .....
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