Thursday, November 4, 2010

दीपावली पर दो छन्द शार्दूलविक्रीड़ित के


शार्दूलविक्रीड़ित


यह १९ वर्णों का गणात्मक, यत्यात्मक वार्णिक छंद है जिसमें १२वें एवं १९वें वर्ण पर यति होती है
गणों का क्रम इस प्रकार है। (इस प्रगल्भता के लिये क्षमा करेंगे और यदि कोई त्रुटि हो तो अवश्य इंगित करें। प्रसिद्ध सरस्वती वन्दना- 'या कुन्देन्दु तुषार हार.... ' इसी छंद में है)


मगण सगण जगण सगण, तगण तगण गुरु
ऽऽऽ   ।। ऽ  ।ऽ।   ।।ऽ    ऽऽ।  ऽऽ।   ऽ 

जागी श्याम-विभावरी शुभकरी, दीपांकिता वस्त्रिता
कल्माशांतक ज्योति शुभ्र बिखरी, आलोकिता है निशा
ज्योतिष्मान स्वयं प्रतीचिपट से, सन्देश देता गया
दीपों की अवली प्रदीप्त कर दे, संपूर्ण पुण्या धरा

राकानाथ निमग्न हैं शयन में, तारावली दीपिता
तारों का प्रतिबिम्ब ही अवनि में, दीपावली सा बना
लक्ष्मी भी तज क्षीर-धाम उतरीं, देखी जु शोभा घनी
देतीं सी सबको प्रबोध मन में, जैसे सुसंजीवनी


-अमित


1 comment:

Pritishi said...

Main hamesha se ShardoolVikrideet ke baarey mein jaanna, padhna chaahti thi magar samay\fursat\ichcha ki prabalata .. jo bhi kahein .. bus mauka nahi mila. Yahan chand chhand padh kar jo gyaan praapt hua hai uske liye main atyant aabhari hoon. Aur bhi jaankari ho to avashya padhna chahoongi.
Pranaam.
RC